ग़ाज़ीपुर। ग्रामीण इलाकों में पेयजल की व्यवस्था बेहतर करने के लिए हैंड पंप लगाने या फिर उसके रिकवरी करने के लिए पंचायती राज विभाग के द्वारा लाखों रुपया का बजट दिया जाता है लेकिन उन बजट का ग्राम प्रधान और विभागीय अधिकारी किस तरह से बंदर बाट करते हैं इसकी बानगी देखने को मिल रही है। मामला बाराचवर ब्लॉक के सागा पाली मुरार सिंह गांव का है। जहां पर री बोरिंग के नाम पर करीब 7 लाख रुपए का बजट उतार लिया गया है तो वहीं दूसरी ओर मनरेगा के तहत एक व्यक्ति के खेत से निकाले गए मिट्टी के बाद बचे खेत को पोखरी दिखलाकर भी करीब पौने दो लाख रुपए का बजट उतार लिया गया है। जिसकी शिकायत कृष्ण कुमार सिंह द्वारा लिखित रूप से जिलाधिकारी से किया गया। इस शिकायत के बाद जब जांच टीम पहुंची तब ग्राम प्रधान के लोगों के द्वारा जमकर बवाल करने का प्रयास किया गया ताकि जांच न होने पाए। जांच टीम में परियोजना निदेशक राजेश यादव के साथ ही टेक्निकल टीम और बाराचवर ब्लॉक की बीडियो भी शामिल रही और जांच के दौरान ही परियोजना निदेशक के द्वारा उस खेत की भी नपाई कराई गई जिसे पोखरा दिखलाकर करीब पौने दो लाख रुपए का पेमेंट उतार लिया गया है। अभी यह जांच प्रक्रिया चली ही रही थी कि किसी बात से नाराज होकर ग्राम प्रधान पक्ष के कुछ लोग हंगामा करने लगे और मारपीट पर उतारू हो गए। इसके बाद अधिकारी वहां से चले आए। परियोजना निदेशक ने बताया कि अभी इसमें आगे की जांच प्रक्रिया जारी रहेगी क्योंकि शिकायतकर्ता के द्वारा हैंडपंप रिबोर की भी शिकायत की गई है जिसको लेकर ग्रामीणों से बातचीत कर इसकी जांच रिपोर्ट तैयार की जाएगी।