गाज़ीपुर। राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत सोमवार को जनपद स्तरीय प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय सभागार में किया गया। कार्यशाला में जिला एवं ब्लॉक स्तर के अधिकारी व स्वास्थ्यकर्मी शामिल हुए।एसीएमओ व नोडल अधिकारी डॉ जेएन सिंह ने बताया कि जनपद में 10 अगस्त से फाइलेरिया से बचाव के लिए सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) अभियान शुरू होगा, जिसके तहत स्वास्थ्यकर्मी व आशा कार्यकर्ताएं घर-घर जाकर दवा खिलाएँगी। यह अभियान मरदह, मनिहारी और जमानिया ब्लॉक को छोड़कर समस्त ब्लॉकों में चलाया जाएगा। इस क्रम में सभी तैयारियां पूरी कर ली जाएं। सभी ब्लॉक समय से माइक्रोप्लान बनाकर अभियान को सफल बनाएँ। ई-कवच पोर्टल पर अभियान की शत प्रतिशत रिपोर्टिंग व डाटा फीडिंग का कार्य प्रतिदिन किया जाना सुनिश्चित करें। साथ ही अभियान की नियमित समीक्षा भी की जाए।
नोडल अधिकारी ने कहा कि सभी ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर (दवा वितरण स्वास्थ्यकर्मी) का प्रशिक्षण समय से पूरा करा दिया जाए। 11 जुलाई से शुरू हुए दस्तक अभियान में आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर भ्रमण कर सर्वे कर छिपे हुए फाइलेरिया व अन्य वेक्टर जनित तथा संक्रामक बीमारियों के रोगियों की सूची बनाएं और जनपद मुख्यालय में प्रेषित करना सुनिश्चित करें। सभी अधिकारी, स्वास्थ्यकर्मी और आशा कार्यकर्ताएं इस बात का विशेष ध्यान रखें कि एमडीए अभियान के दौरान घर-घर जाकर लक्षित लाभार्थियों को दवा अपने समक्ष ही खिलाएँ। किसी को भी दवा उनके हाथ में न थमाएं जिससे कोई भी व्यक्ति फाइलेरिया से बचाव की दवा खाने से न छूटे। जिला मलेरिया अधिकारी मनोज कुमार ने कहा कि फाइलेरिया मच्छरजनित रोग है। इसके लक्षण का पता 10 से 15 साल में लगता है। इसलिए सभी को फाइलेरिया से बचाव की दवा खाना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि जनपद में संचारी रोग नियंत्रण अभियान चल रहा है। मच्छरजनित परिस्थितियाँ उत्पन्न न हों, इसलिए स्वास्थ्य कार्यकर्ता ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक करें। बचाव के लिए ‘क्या करें और क्या न करें’ तथा हर रविवार मच्छर पर वार के बारे में बताएं।कार्यशाला में *पाथ संस्था के क्षेत्रीय एनटीडी अधिकारी डॉ अबू कलीम और डब्ल्यूएचओ के क्षेत्रीय एनटीडी अधिकारी डॉ मंजीत सिंह चौधरी ने सभी ब्लाकों से आए स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी, ब्लॉक कार्यक्रम प्रबन्धक (बीपीएम), और ब्लॉक सामुदायिक प्रक्रिया प्रबन्धक (बीसीपीएम) को प्रशिक्षण दिया। उन्होंने कहा कि फाइलेरिया बीमारी लाइलाज है। एक बार अगर हो जाए तो ठीक नहीं होता है केवल इसका प्रबंधन व रख-रखाव ही किया जा सकता है। गंभीर स्थिति में न पहुंचे इसके लिए रुग्णता प्रबंधन व दिव्यांग्ता रोकथाम (एमएमडीपी) किट दी जाती है जिससे रोगी फाइलेरिया प्रभावित अंगों की नियमित साफ-सफाई कर सके। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया से बचाव की दवा एक साल से कम आयु के बच्चों, गर्भवती और अति गंभीर बीमारी से पीड़ित को छोड़कर सभी को खानी है। एक से दो साल की आयु के बच्चों को पेट से कीड़े निकालने की दवा अल्बेंडाजोल की आधी गोली खिलाई जायेगी। खाली पेट किसी को भी दवा का सेवन नहीं करना है।
इस मौके पर स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी, बीपीएम, बीसीपीएम सहित करीब 50 लोगों को प्रशिक्षण दिया गया। जो अब ब्लॉक स्तर पर ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर को प्रशिक्षित करेंगे।
कार्यशाला में एसीएमओ डॉ मनोज कुमार सिंह, सहायक मलेरिया अधिकारी, पाथ संस्था के क्षेत्रीय एनटीडी अधिकारी डॉ अबू कलीम, डब्ल्यूएचओ से क्षेत्रीय एनटीडी अधिकारी डॉ मंजीत सिंह चौधरी, पीसीआई संस्था से डीसी मनीष दुबे, सीफार के जिला प्रतिनिधि एवं जिला मलेरिया इकाई के कर्मी मौजूद रहे।