भांवरकोल( गाजीपुर ) नवरात्र के आज तीसरे दिन श्रद्धालुओं ने मां चंद्रघंटा की स्वरूप की पूजा अर्चना कर परिवार के कल्याण के लिए मंगल कामना की। आज सुबह से ही भक्तों ने देवी मंन्दिरों मे आराधना, पूजन का क़म चलता रहा जो देर शाम तक जारी रहा। मंदिरों मे घडी़ ,घंटे एवं शंख के बीच मां के जयकारे से पूरे क्षेत्र का वातावरण दैवीमय हो गया।नवरात्रि के संबंध में पंडित डॉo अशोक उपाध्याय ने आदि शक्ति की महिमा के बारे में बताया कि नवरात्रि से शरद ऋतु का आरंभ तथा जलवायु और सूरज के प्रभाव का महत्वपूर्ण संगम होता है ।नवरात्रि में नई शक्ति का संचार होता है। आदि शक्ति को प्रकृति रूपी यही अवस्था सत, रज और तम गुणों में रूपांतरित होती है तथा यह सृष्टि का संतुलन में बनाए रखने का कार्य करती हैं ।इसलिए देवी को आद्या असाधारण शक्ति का प्रतीक कहा गया है ।मां के इस तीसरे दिन चंद्रघंटा के स्वरूप की पूजा अर्चन का विधान है। आज नवरात्र के तीसरे दिन इनके इसी स्वरूप का पूजा अर्चन किया जाता है। मां की इस इस स्वरूप को चित्रघंटा भी कहा जाता है । देवी पुराण के अनुसार ऐसी मान्यता है कि मां के इस स्वरूप की दर्शन पूजन से भक्तों को नरक से मुक्ति मिल जाती है साथ ही उन्हें सुख समृद्धि एवं विद्या की प्राप्ति होती है। मां चंद्रघंटा के माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र बना है। मां सिंह की सवारी करती हैं इनकी दस भुजाएं हैं ।मां के एक हाथ में कमंडल दूसरे में कमल का फूल एवं तीसरे में कृपाण से सुसज्जित हैं। नवरात्रि में इनके बीज मंत्र – ऊं ऐं ह्लीं क्लीं चन्द़घंटायै बिच्चै, के जाप से भक्त को भौतिक सुख एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।