गाज़ीपुर | जनपद में शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चों के लिए विशेष टीकाकरण अभियान का दूसरा चरण सोमवार से शुरू होकर 24 फरवरी तक चलेगा| अभियान का शुभारंभ मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ हरगोविंद सिंह ने सोमवार को शहरी क्षेत्र के पथरीघाट टीकाकरण सत्र पर किया। इस दौरान जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ उमेश कुमार, डब्ल्यूएचएचओ एसएमओ व यूनिसेफ के प्रतिनिधि मौजूद रहे।इस मौके पर सीएमओ ने बताया कि इस अभियान का उद्देश्य बच्चों को शत-प्रतिशत नियमित टीकाकरण से आच्छादित करना है। अभियान को सफल बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग से जुड़ी समस्त आशा कार्यकर्ताओं सहित अन्य स्वास्थ्यकर्मियों के सहयोग से जनपद में शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चों का टीकाकरण किया जा रहा है| यह अभियान तीन चरणों में चलेगा जिसका प्रथम चरण 9 से 20 जनवरी तक चलाया गया| दूसरा चरण 13 फरवरी से शुरू होकर 24 फरवरी तक चलेगा| अभियान का तीसरा और आखिरी चरण 13 मार्च से 24 मार्च तक चलेगा| जनपद के समस्त शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में सभी शून्य से पाँच वर्ष के बच्चों को सूचीबद्ध कर जिले के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों पर उनकी टीकाकरण की स्थिति का आंकलन करते हुये छूटे हुए चिन्हित बच्चों को ई-कवच पोर्टल से जनरेटेड ड्यू लिस्ट की सूची के अनुसार लाभार्थियों को एएनएम व आशा कार्यकर्ता सत्रों पर टीकाकरण कराने में सहयोग कर रहीं है| साथ ही बच्चों को छूटे हुये टीकों से आच्छादित करते हुये टीकों की सूचना ई कवच पोर्टल पर अपलोड का कार्य कर रहीं है|जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ उमेश कुमार ने बताया कि बच्चों में होने वाली गंभीर बीमारियों व संक्रमण से असर तेजी से उनके शरीर पर होता है और उनके अंगों को प्रभावित करता है| बीसीजी, हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस बी, डीटीपी, रोटावायरस वैक्सीन, इन्फ्लूएंजा व न्यूमोनिया जैसी गंभीर बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए विशेष अभियान चलाया गया है| खसरा एक जानलेवा रोग है, जो कि वायरस से फैलता है| बच्चों में खसरे के कारण विकलांगता के साथ बच्चे की जान को खतरा हो सकती है| रूबेला भी खसरा रोग जैसे ही होते हैं| गर्भवस्था के शुरू में ही सक्रंमित होने से महिला को कन्जेनिटल रूबैला सिन्ड्रोम से भ्रूण तथा नवजात शिशु के लिए घातक सिद्ध हो सकता है| इसके लिए खसरा एवं रूबेला का टीका सुरक्षित है इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होते हैं|
डॉ उमेश ने बताया कि राष्ट्रीय नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत शिशु के जन्म पर बीसीजी, हेपेटाइटिस-बी, ओपीवी, छठे हफ्ते (सवा महीने) पर बीओपीवी-1, पेंटावालेंट-1, एफएलपीवी-1, रोटा-1, पीसीवी-1, दसवां सप्ताह बीओपीवी-2, पेंटवालेंट-2 और रोटा-2, चौदहवें सप्ताह पर बीओपीवी-3, पेंटावालेंट-3, एफएलपीवी-2, रोटा-3 और पीसीवी-2, नौ से 12वें माह पर एमआर-1, जेई-1, पीसीवी-बी, विटामिन-ए की पहला खुराक, इसके बाद 16 से 24 माह पर एमआर-2, जेई -2, डीपीटी-बी 1, बीओपीवी-बी और विटामिन-ए की दूसरी खुराक और 5 से 6 वर्ष पर डीपीटी-बी 2 का टीका लगता है|