गाजीपुर। राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय, गाजीपुर में वर्षा जल संरक्षण विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई। इस अवसर पर भूगोल विभाग की छात्रा मंजूरी अंसारी में कहा कि जल हमारे जीवन के लिए एक आवश्यक तत्व है, इसका संरक्षण हमारी जिम्मेदारी है ।भारत ही नहीं पूरा विश्व जल संकट को लेकर चिंतित है। उम्मे आइमा ने कहा कि हमारी पृथ्वी पर भले 70% जल है लेकिन उसमें हमारे काम का सिर्फ दो प्रतिशत ही है। उसे बचाना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। बरसात का पानी हमारे जीवन के लिए उपयोगी है, लेकिन वह उचित संरक्षण के अभाव में प्रत्येक वर्ष नष्ट हो जाता है।
मुख्य वक्ता के रूप में डॉ शिल्पी राय ने वर्षा जल के संचयन हेतु सरकारी प्रयास एवं व्यक्तिगत प्रयास का उल्लेख करते हुए बताया कि एक तरफ सरकार बड़े-बड़े डैम बनाकर वर्षा जल का संरक्षण करती है और उनका उपयोग सिंचाई एवं बिजली बनाने के काम में करती है गांव में लोग तलाब बनकर जल का संचयन करते हैं लेकिन इन सब के बावजूद लगातार घटना भूजल यह बताता है कि यह उपाय ना काफी है। अतः हमें वर्षा जल संरक्षण के आधुनिक उपाय के बारे में भी सोचना पड़ेगा। प्राचार्य प्रोफेसर अनीता कुमारी ने कहा कि जल का सस्ते रूप में उपलब्ध हो जाना भी एक बड़ा कारण है उसके दुरुपयोग होने का पहले लोग कुआं से पानी निकालते थे। नदियों से पानी लाते थे तब उन्हें पानी का महत्व अधिक समझ में आता था आज बटन के ऑन ऑफ कर देने मात्र से पानी उपलब्ध हो जाता है इसलिए उसका दुरुपयोग लोग अधिक करते हैं।हमें पानी के महत्व को समझना होगा, नहीं तो हमारा जीवन है संकट में आ जाएगा। जीवन एवं प्रकृति के संतुलन के लिए पानी का बचे रहना बहुत आवश्यक है। रेंजर प्रभारी डॉ शिव कुमार ने कहा कि जल का होना जीवन का होना है। हमारे भविष्य का सुरक्षित होना है। हमारी सभ्यता एवं संस्कृत का संरक्षित होना है। इस अवसर पर डॉ ओम शिवानी ने कहा कि जल है तो कल है। कल यानी मनुष्य का भविष्य। इसी क्रम में डा शंभू शरण प्रसाद एवं डा राजेश कुमार यादव ने भी अपनी बात रखी। कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन डा निरंजन कुमार ने किया।