सीएचसी कासिमाबाद के सिधउत पंचायत भवन पर लगा एमएमडीपी कैंप

प्रभावित अंगों की नियमित साफ-सफाई व सामान्य व्यायाम से होगी दिव्यांग्ता रोकथाम

गाज़ीपुर । जनपद को फाइलेरिया मुक्त बनाने व दिव्यांग्ता रोकथाम के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। इसी क्रम में बुधवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कासिमाबाद के अंतर्गत ग्राम पंचायत सिधउत, पंचायत भवन पर फाइलेरिया (हाथी पांव) से ग्रसित 24 रोगियों को रुग्णता प्रबंधन व दिव्यांग्ता रोकथाम (एमएमडीपी) किट और आवश्यक दवा प्रदान की गई। साथ ही रोगियों को घाव की नियमित सफाई के तरीके, योगा व सामान्य व्यायाम के बारे में बताया गया।
इस मौके पर जिला मलेरिया अधिकारी (डीएमओ) मनोज कुमार एवं पाथ संस्था के आरएनटीडीओ डॉ अबू कलीम ने सभी रोगियों को एमएमडीपी किट के बारे में सभी रोगियों को प्रशिक्षित किया और एमएमडीपी किट प्रदान की। इस दौरान फाइलेरिया रोगी सहायता समूह (पीएसजी) नेटवर्क के 14 रोगियों को भी किट व प्रशिक्षण दिया। डीएमओ ने बताया कि फाइलेरिया ग्रस्त अंगों मुख्यतः पैर की साफ-सफाई रखने से संक्रमण का डर नहीं रहता है और सूजन में भी कमी रहती है। इसके प्रति लापरवाही बरतने पर अंग खराब होने लगते हैं। इससे समस्या बढ़ जाती है। संक्रमण को बढ़ने से रोकने के लिए दवा भी दी जा रही है। उन्होंने बताया कि जिनके हाथ-पैर में सूजन आ गई है या फिर उनके फाइलेरिया ग्रस्त अंगों से पानी का रिसाव होता है। इस स्थिति में उनके प्रभावित अंगों की साफ-सफाई बेहद आवश्यक है। इसलिए एमएमडीपी किट प्रदान की जा रही है। इस किट में एक-एक टब, मग, बाल्टी तौलिया, साबुन, एंटी फंगल क्रीम आदि शामिल हैं। पीएसजी नेटवर्क के सदस्य समुदाय को फाइलेरिया के प्रति जागरूक कर रहे हैं। साथ ही बीमारी से जुड़े मिथक को भी दूर कर रहे हैं।
डॉ अबू कलीम ने सभी आशा कार्यकर्ताओं और संगिनी को फाइलेरिया (हाथ-पैरों में सूजन और अंडकोषों में सूजन) के कारण, लक्षण, पहचान, जांच, उपचार व बचाव आदि के बारे में विस्तार से बताया। फाइलेरिया की सभी ग्रेडिंग (हाथ-पैरों में सूजन व घाव की स्थिति) के बारे में जानकारी दी। एमएमडीपी किट को हाथीपांव ग्रसित रोगियों के उपयोग के बारे में बताया।
पीएसजी सदस्य समुदाय को कर रहे जागरूक – दीपक स्वयं सहायता समूह की सदस्य कुमारी (59) लगभग सात वर्ष से फाइलेरिया बीमारी से ग्रसित हैं। उन्होंने बताया कि जानकारी के अभाव से उन्होंने करीब तीन साल तक झाड़ फूंक कराया। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। कुछ जड़ी बूटी का भी सेवन किया लेकिन इससे भी कोई फायदा नहीं हुआ। अब समूह से जुड़कर डॉक्टर से फाइलेरिया देखभाल के लिये सम्पूर्ण जानकारी मिली और साथ ही एमएमडीपी किट भी दी गई। वह अपने सूजे हुये पैरों की नियमित देखभाल कर रही हैं। इससे आराम मिल रहा है। सुरेन्द्र (63) ने बताया कि वह 18 साल से फाइलेरिया हाथीपांव से ग्रसित हैं। उनके पैरों में सूजन होने से यही भ्रांति हुई कि यह सामान्य है सही हो जाएगा। लेकिन समूह से जुड़ने के बाद पता चला की फाइलेरिया मच्छर काटने से ही होता है। अब किट के जरिये हम अपने सूजे हुये पैरों की साफ-सफाई और देखभाल करते हैं। साथ ही योगा व सामान्य व्यायाम भी कर रहे हैं जिससे आराम मिल रहा है। इसके अलावा समुदाय में फाइलेरिया से बचाव के बारे में जागरूक भी कर रहे हैं।इस मौके पर आशा कार्यकर्ता लक्ष्मी, संगिनी बसंती प्रजापति, सीफार संस्था के प्रतिनिधि एवं अन्य लोग उपस्थित रहे।