भांवरकोल  (गाजीपुर )नवरात्रि यानि दुर्गा पूजा का पर्व हिन्दू धर्म का एक बड़ा त्योहार है, जिसकी धूमधाम पूरे 10 दिनों तक देखने को मिलती है. दुर्गा पूजा की बात की जाए तो यूं तो यह बंगाल का प्रमुख त्योहार है, लेकिन दुर्गोत्सव को देशभर में मनाया जाता है. इस पर्व से अलग-अलग राज्यों में अपनी सांस्कृतिक विशेषताएं भी जुड़ी होती हैं. जैसे बंगाल में सिंदूर खेला और धुनुची नाच, गुजरात में गरबा नृत्य और कुल्लू-मनाली में दशहरा की रौनक होती है. देश के हर कोने में दुर्गा पूजा को लेकर अलग जोश और रंग देखने को मिलते हैं. इस बार दुर्गा पूजा की शुरुआत 26 सितंबर सोमवार से हुई है और 05 अक्टूबर बुधवार को विजयदशमी के साथ इसका समापन होगा.10 दिनों तक चलने वाले दुर्गोत्सव को भक्त खास बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते. इस दौरान मंदिर, कम्यूनिटी हॉल और मोहल्ले में बड़े-बड़े पंडालों का निर्माण किया जाता है. इसमें मां दुर्गा की विशाल प्रतिमा भी स्थापित की जाती है, जिसके दर्शन करने के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं. आपने देखा होगा कि पूजा पंडालों में मां दुर्गा के साथ ही अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां भी स्थापित की जाती हैं. भांवरकोल क्षेत्र में बताएं आचार्य सुरेंद्र शुक्ला जी से जानते हैं आखिर क्यों दुर्गा पूजा के पंडाल में मां दुर्गा के साथ अन्य देवी-देवताओं की मूर्ति स्थापित की जाती है दुर्गा पूजा के पंडाल में मां दुर्गा के साथ देवी सरस्वती, मां लक्ष्मी, श्रीगणेश और भगवान कार्तिकेय की मूर्ति स्थापित की जाती है. इसके अलावा मां दुर्गा के साथ असुर महिषासुर के मूर्ति की भी स्थापना की जाती है. मां लक्ष्मी और गणेशजी की प्रतिमा को मां दुर्गा के बाईं ओर रखा जाता है. वहीं मां सरस्वती और भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा को मां दुर्गा के दाईं ओर रखा जाता है. मां दुर्गा सिंह पर सवार होती हैं और उसके नीचे असुर महिषासुर की प्रतिमा होती है, जिसका वध करते हुए मां दुर्गा को दर्शाया जाता है.
दुर्जा पूजा के पंडाल में अन्य देवी-देवताओं की मूर्ति का महत्व
दुर्गा पूजा के पंडाल में मां दुर्गा की विशाल व भव्य प्रतिमा स्थापित की जाती है. इसी के साथ अन्य देवी-देवताओं की भी मूर्ति स्थापित की जाती है. दुर्गा पूजा में मां दुर्गा के साथ अन्य देवी-देवताओं की पूजा को लेकर यह मान्यता है कि देवी मां अपने महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती के स्वरूप में गणपति और कार्तिकेय को लेकर दुर्गा पूजा में पूरे दस दिनों के लिए पीहर आती हैं.
यही कारण है कि दुर्गा पूजा में मां दुर्गा के साथ श्रीगणेश, भगवान कार्तिकेय, देवी सरस्वती और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है. कुछ पूजा पंडालों में महादेव, भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी की भी मूर्ति स्थापित कर पूजा की जाती है.