गाज़ीपुर। जनपद के शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (यूपीएचसी) हाथीखाना पर सोमवार को सघन मिशन इंद्रधनुष (आईएमआई-5.0) के तहत पहले चरण का शुभारंभ मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ देश दीपक पाल ने किया। इस अवसर पर पीएचसी पर आयोजित नियमित टीकाकरण सत्र में सीएमओ और जिला प्रतिरक्षण अधिकारी (डीआईओ) डॉ एसके मिश्रा ने बच्चों को पोलियो की दवा पिलाई । साथ ही मीजिल्स-रूबेला की दूसरी डोज़ भी लगाई गई। इसके अतिरिक्त समस्त 16 ब्लॉक स्तरीय सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों (सीएचसी-पीएचसी) पर भी अभियान की शुरुआत हुई।
सीएमओ डॉ पाल ने कहा कि नियमित टीकाकरण अभियान में किसी कारणवश छूटे पांच वर्ष तक के बच्चों व गर्भवती को प्रतिरक्षित करने के लिए अभियान का पहला चरण सोमवार से शुरू हुआ। यह चरण 12 अगस्त तक चलेगा। सीएमओ ने परिजनों से अपील की कि वह अपने बच्चे का टीकाकरण कराएं और आसपास के लोगों को बच्चों का टीकाकरण कराने के लिए प्रेरित करें। कोई भी बच्चा छूटा हो तो उसका टीकाकरण अवश्य कराएं। सभी टीके पूर्ण रूप से सुरक्षित हैं। टीका लगने के बाद सामान्य बुखार हो सकता है ,इससे घबराने की आवश्यकता नहीं है। इसके अलावा गंभीर स्थिति या प्रतिकूल प्रभाव से निपटने को रैपिड रिस्पांस टीम (आरआरटी) तैयार की गई है।जिला प्रतिरक्षण अधिकारी ने सैदपुर पीएचसी के अंतर्गत आयोजित टीकाकरण सत्रों का दौरा किया। उन्होंने बताया कि आईएमआई 5.0 के पहले चरण के लिए जिले के छूटे पांच वर्ष तक के 1500 बच्चों और 100 गर्भवती को टीकाकरण के लिए चिन्हित किया गया है। सोमवार को लगभग 369 टीकाकरण सत्र आयोजित किए गए। अभियान में बच्चों को प्रमुख रूप से मिजिल्स-रूबेला का टीका लगाया जाएगा। साथ ही गर्भवती को टिटनेस-डिप्थीरिया (टीडी) का टीका लगाया जाएगा। यह टीका गर्भवती को दिये जाने से उनका व उनके गर्भस्थ शिशु का टिटनेस व डिप्थीरिया (गलघोंटू) रोग से बचाव करता है। इसके साथ ही बच्चों को 11 बीमारियों से बचाव के लिए टीका लगाया जाता है जिनमें डिप्थीरिया, काली खांसी, टिटेनस, पोलियो, क्षय (टीबी), हेपेटाइटिस-बी, मैनिंजाइटिस, निमोनिया, हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप-बी संक्रमण, डायरिया रोटा वायरस और खसरा-रूबेला (एमआर) शामिल हैं। उन्होंने बताया कि आईएमआई 5.0 का दूसरा चरण 11 से 16 सितंबर और तीसरा चरण नौ से 14 अक्टूबर तक चलाया जाएगा। इस मौके पर एसीएमओ डॉ मनोज कुमार सिंह, प्रभारी चिकित्सा अधिकारी, नगरीय स्वास्थ्य समन्वयक अशोक कुमार, यूनिसेफ से डीएमसी बलवंत सिंह, चाई से मणि शंकर, यूएनडीपी से प्रवीण उपाध्याय, चिकित्सक, एएनएम, आशा कार्यकर्ता एवं अन्य स्वास्थ्य कर्मी मौजूद रहे।
पाँच साल – सात बार, टीका न छूटे एक भी बार – टीकाकरण एक सतत प्रक्रिया है जो कि बच्चे के जन्म से लेकर पांच वर्ष की आयु तक संपादित की जाती है।
• जन्म के समय बच्चों को हेपेटाइटिस बी संक्रमण से बचाने के लिये एवं पोलियो वैक्सीन की जीरो डोज खुराक एवं बीसीजी की वैक्सीन दी जाती है।
• तत्पश्चात बच्चे की आयु डेढ़ माह, ढाई माह एवं साढ़े तीन माह होने पर डिप्थीरिया, काली खांसी, टिटनेस, रोटा वायरस, डायरिया, हेपेटाइटिस बी, हेमेसिफिलस संक्रमण एवं न्यूमोकोकल वैक्सीन, न्यूमोकोकल इन्फेक्शन के संक्रमण से बचाने के लिये टीका लगाया जाता है।
• इसके साथ ही नौ महीने की उम्र पूरी होने पर10वें महीने पर मीजिल्स-रूबेला की पहली डोज़ तथा 16-24 महीने पर मीजिल्स-रूबेला की दूसरी डोज दी जाती है।
• इसके बाद 16 से 24 माह पर डिप्थीरिया, काली खांसी एवं टिटनेस के संक्रमण से बचाव के लिये डीपीटी वैक्सीन की बूस्टर डोज़।
• 05 वर्ष पूर्ण होने पर डीपीटी की दूसरी बूस्टर खुराक दी जाती है।
• किशोर एवं किशोरियों को 10 वर्ष एवं 16 वर्ष की उम्र पर डिप्थीरिया एवं टिटनेस से बचाव के टीके दिये जाते हैं।
डॉ मिश्रा ने बताया कि इस प्रकार एक ही टीकाकरण के विभिन्न वैक्सीन देने का समय निर्धारित किया गया है। बच्चे को सभी वैक्सीन मिल जाये इसके लिये उन्हें विभिन्न आयु पर 07 बार टीकाकरण केन्द्र लाना होता है।