ग़ाज़ीपुरस्वास्थ

फाइलेरिया नेटवर्क वालंटियर्स की कलस्टर फोरम बैठक व प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित

 

गाज़ीपुर l कासिमाबाद सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर शुक्रवार को फाइलेरिया नेटवर्क वालंटियर्स की क्लस्टर फोरम बैठक व प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गई। इस प्रशिक्षण कार्यशाला को सहायक मलेरिया अधिकारी राम सिंह ने संबोधित करते हुए कहा कि एक बार फाइलेरिया (हाथ, पैरों, अंडकोषों व स्तन में सूजन) रोग हो जाने के बाद इसका कोई इलाज नहीं है। शुरू में दवा खाने, साफ-सफाई रखने व व्यायाम या योग करने से इसको नियंत्रित किया जा सकता है। साथ ही दिव्यांग्ता से भी बचा जा सकता है।यह कार्यशाला स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) व पाथ संस्था के सहयोग से आयोजित हुई। इसमें फाइलेरिया (हाथीपांव) के 24 रोगियों को प्रशिक्षण देकर वालंटियर्स बनाया गया। हाथीपांव के लक्षण, कारण, बचाव, चोट, संक्रमित बीमारियों आदि के बारे में विस्तार से चर्चा की और साफ-सफाई, व्यायाम, स्वच्छता के बारे में जानकारी दी। सहायक मलेरिया अधिकारी ने सभी प्रतिभागियों से कहा कि समुदाय में फाइलेरिया रोगी की तरह काम न करके “फाइलेरिया वालंटियर्स” की तरह काम करें। समुदाय को जागरूक करें। हाथीपांव से जुड़ी मिथक व भ्रांतियों को दूर कर व्यवहार परिवर्तन भी किया गया।
पाथ संस्था के क्षेत्रीय एनटीडी अधिकारी (आरएनटीडीओ) डॉ अबुकलिम ने कहा कि फाइलेरिया मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। इसको लिम्फ़ेटिक फाइलेरियासिस (एलएफ़) के नाम से जाता है। यदि ज्यादा दिनों तक बुखार रहे, पुरुष के जननांग में या महिलाओं के स्तन में दर्द या सूजन रहे और खुजली हो, हाथ-पैर में भी सूजन या दर्द रहे तो यह फाइलेरिया के लक्षण हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में शीघ्र स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सक से संपर्क कर जांच कराएं और चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही आवश्यक दवा का नियमित रूप से सेवन करें। उन्होंने कहा कि फाइलेरिया से बचना है तो घर और आस-पास सफाई रखना जरूरी है। पानी का जल जमाव न होने दें, ठहरे पानी पर जला मोबिल छिड़ककर मच्छरों को पनपने से रोकें, फूल आस्तीन के कपड़ें पहनें, सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें।
डॉ अबुकलिम ने फाइलेरिया रोग व उसके प्रबंधन पर प्रस्तुतीकरण के माध्यम से हाथीपांव की सभी सात स्टेजों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। सीफार संस्था के स्टेट प्रोग्राम मैनेजर (एलएफ़/वीएल) डॉ सतीश कुमार पाण्डेय ने संचार कौशल की जानकारी देते हुये लोगों को जागरूक करने के बारे में जानकारी दी। रोल प्ले के जरिए आईडीए/एमडीए में दवा खाने से इन्कार करने वाले लोगों को प्रेरित करने का गुण भी सिखाया गया। उन्होंने कहा कि जानकारी देते समय सभी संदेश स्पष्ट होने चाहिए। कार्यक्रम के अंत में आईएडी फाइलेरिया एकीकृत उपचार केंद्र केरल की सिस्टर हरिणाक्षी ने केंद्र में मौजूद उपचार संबंधी सुविधाओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
इस मौके पर ब्लॉक स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी पंकज कुमार गुप्ता, बीसीपीएम शमा परवीन, मलेरिया निरीक्षक अनुष्का भारती, पाथ से डॉ अरूण कुमार, सीफार के जिला समन्वयक (एलएफ़/वीएल) संजय कुमार व ब्लॉक समन्वयक नगमा खानएवं अन्य स्वास्थ्यकर्मी मौजूद रहे।