भांवरकोल (गाजीपुर) क्षेत्र शेरपुर कला गांव के व्यामशाला प्रांगण में आयोजित श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ में श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन कथा सुनाते हुए कथा वाचक पवनदेव जी महाराज श्रीधाम वृंदावन ने कहा कि मथुरा के राजा उग्रसेन का लड़का कंस जब अपने ही पिता को राजगद्दी से हटाकर स्वयं मथुरा का राजा बन गया, देवताओं के ऊपर अत्याचार बढ़ गया, तब देवताओं और पृथ्वी के प्रार्थना पर स्वयं परमपिता परमात्मा शरीर धारण करके पृथ्वी के कष्टों को दूर करने के लिए अवतार लेते हैं – जब जब होई धरम के हानि, बाढ़ई असुर अधम अभिमानी | तब तब प्रभु धरी विविध शरीरा, हरहिं कृपानिधि सज्जन पीड़ा॥
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत |
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥
अर्थात भगवान स्वयं श्रीमद्भगवद्गीता में इस बात को कहते हैं, तो पृथ्वी पर अधर्म का साम्राज्य बढ़ गया, धर्म का ह्रास होने लगा ऐसे समय में देवकी माता एवं वसुदेव जी के गोद से स्वयं भगवान कृष्ण के रूप में अवतार लिए पहले तो देवकी के छह पुत्रों को कंस ने मार डाला सातवें पुत्र के रूप में बलदाऊ भैया संकल्प के माध्यम से माता रोहिणी के गर्भ में स्थापित हो गए तत्पश्चात देवताओं के प्रार्थना पर स्वयं भगवान हरि आठवीं संतान के रूप में मां देवकी के गर्भ में आए कंस के अति सुरक्षित कारागृह के बंधन को तोड़ते हुए भगवान अपने पिता वासुदेव जी के साथ रात्रि में ही गोकुल में नंद बाबा के पास पहुंच गए तथा वासुदेव जी लाला को रखकर लाली को लेकर पुनः कंस के कारागृह में आकर बंद हो गए और कंस ने जैसे ही उस कन्या को मारने का प्रयास किया तुरंत ही वो कन्या कंस के हाथ से छुटकार आकाश में जाकर कहने लगी कि तुझे मारने वाला तो जन्म ले चुका है और गोकुल में नंदबाबा ने कन्हैया के जन्मोत्सव को खूब धूमधाम से मनाया ।इस मौके पर यज्ञाधीश कन्हैया दास महाराज, संजय जी महाराज ,आचार्य रोहित संस्कृतियां, मुख्य यजमान ओम प्रकाश राय ,चौकी इंचार्ज मनोज मिश्रा, सीमा राय ,पवन यादव आदि लोग मौजूद रहे