्गाजीपुर । बच्चे को यदि लम्बे समय से खांसी आ रही हो, बुखार बना रहता हो और वजन गिर रहा हो तो टीबी की जाँच जरूर कराएँ | इसे महज मौसमी खांसी-बुखार समझने की भूल कतई न करें क्योंकि यह टीबी के संकेत हो सकते हैं | यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ हरगोविंद सिंह का | मुख्य चिकित्सा अधिकारी का कहना है कि बदलते मौसम में ज्यादातर अभिवावक बच्चों की खांसी को सामान्य खांसी या एलर्जी मानकर जांच कराना उचित नहीं समझते जबकि बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है जिससे उन्हें अन्य संक्रामक बीमारियाँ आसानी से घेर लेती हैं | उन्होंने कहा कि बच्चों को यदि दो हफ्ते से अधिक समय से लगातार खांसी आ रही हो, बुखार बना रहता होतो यह टीबी के लक्षण हो सकते हैं। शुरूआत में ही इसे पहचान लिया जाए तो समस्या गंभीर होने से इसे रोका जा सकता है। समस्त सरकारी चिकित्सालयों और स्वास्थ्य केन्द्रों पर जांच व उपचार की सुविधा उपलब्ध है। राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के जिला समन्वयक डॉ मिथलेश कुमार ने बताया कि जनपद में वयस्कों के साथ बच्चों की भी लगातार जांच की जा रही है। इस साल जनवरी से अब तक 4154 टीबी मरीज नोटिफ़ाई किए जा चुके हैं । इसमें 15 वर्ष तक के 193 बच्चे शामिल हैं जिसमें से 63 बच्चे टीबी से पूरी तरह स्वस्थ हो चुके हैं। शेष बच्चों का उपचार चल रहा है।जिला पब्लिक प्राइवेट मिक्स समन्वयक (डीपीपीएमसी) एके पाण्डेय ने बताया कि पाँच वर्ष तक के बच्चों को कीमोप्रोफाइलैक्सिस थेरेपी भी दी जा रही है जिससे उन्हें क्षय रोग से बचाया जा रहा है । यदि किसी व्यक्ति को फेफड़े की टीबी है तो वह कम से कम 15 व्यक्तियों को टीबी फैलाता है। इसलिए मरीज के परिजन को इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। अपने बच्चों के साथ-साथ स्वयं को भी सुरक्षित रखना जरूरी है ।
साफ़-सफाई व खानपान का रखें ध्यान– खांसते और छींकते समय मुंह पर कपड़ा रखें। बच्चों को प्रोटीन व विटामिन युक्त पौष्टिक आहार,मौसमी फलों और सब्जियों का सेवन अधिक कराएं। पर्याप्त मात्रा में पानी पिलाएं। विटामिन सी वाले फलजैसे संतरा, नींबू का सेवन अधिक मात्रा में कराएं और साथ में मौसमी सब्जियों का सूप अवश्य पिलाएं। यह सभी शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।बच्चों में टीबी के लक्षण –
• दो हफ्ते से ज्यादा खांसी आना
• वजन न बढ़ना या वजन घटना
• खांसी में बलगम के साथ खून आना
• सुस्ती होना व कमजोरी आना
• भूख न लगना, भूख में कमी
• बार-बार बुखार आना
• बुखार के साथ पसीना आना
इनसे करें बचाव –
– बच्चों को बाहर के खाने से बचाएं।
– धूल मिट्टी वाले रास्तों से गुजरते वक्त मास्क का इस्तेमाल अवश्य कराएं।
– अस्थमा से पीड़ित बच्चों को धूल-मिट्टी से बचाकर रखें।
– बच्चों को घरों में डस्टिंग करते, झाड़ू लगाते समय दूर कर दें।