गाजीपुर। जनपद के अग्रणी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित विश्वनाथ शर्मा की जेल यात्रा का शताब्दी समारोह का गुरुवार को लंका मैदान में स्थित मैरेज हाल में किया गया। आधार वक्तव्य का आरंभ युवा वक्ता माधो कृष्ण ने किया। उन्होंने पं. विश्वनाथ शर्मा के जीवन और कर्म पर विस्तृत प्रकाश डाला। जिला पूर्ति अधिकारी कुमार निर्मलेंदु ने शर्मा को गाजीपुर जनपद का धरोहर बताया। उन्होंने कहा कि इस धरोहर की रक्षा करना हम सभी का कर्तव्य है। उन्होंने अपने उद्बोधन में समग्र स्वतंत्रता संग्राम में पं. विश्वनाथ शर्मा की अग्रणी भूमिका को रेखांकित किया।प्रसिद्ध गीतकार बुद्धिनाथ मिश्र ने पंडित विश्वनाथ शर्मा को त्याग पुरुष के रूप में याद करते हुए उन्हें स्वतंत्रता संग्राम में जनपद गाजीपुर को सेनापति के रूप में चित्रित किया। प्रखर वक्ता डा. सानंद सिंह ने पं. विश्वनाथ शर्मा को जनपद गाजीपुर में जन्म लेने वाले गांधी के रूप में मूल्यांकित किया। उन्होंने कहा कि ऐसे महापुरुष का जन्म किसी धरा पर कभी-कभी होता है। मुख्य अतिथि के रूप में पधारे जयप्रकाश नारायण विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. हरिकेश सिंह ने पं. विश्वनाथ शर्मा को युग पुरूष क्रान्तिकारी बताते हुए उनकी तीन पीढ़ियों की जेल यात्रा का पूरे स्वतंत्रता संग्राम में अद्वितीय करार दिया। उन्होंने इस कार्यक्रम को और व्यापक फलक प्रदान करने का आग्रह किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ पत्रकार व साहित्यकार धीरेन्द्र श्रीवास्तव ने पं. विश्वनाथ शर्मा के साथ ही उनके परिवार के त्याग और बलिदान की सराहना की। अध्यक्ष के आग्रह पर अनंत देव पांडेय अनन्त ने मुक्त छंद में सरस्वती वंदना, मारकण्डेय सिंह, कामेश्वर दुबे, शेख जैनुल आबद्दीन, बालेश्वर विक्रम और प्रसिद्ध वीर रस के कवि पं. श्याम नारायण पांडेय के शिष्य जसवंत सिंह,कुमार निर्मलेंदु ने अपनी-अपनी कविताओं से इस समारोह में समा बांधा। अंत में प्रसिद्ध गीतकार बुद्धिनाथ मिश्र ने “ग्राम-ग्राम परम धाम, जय हे जनदेवता! गीत के माध्यम पं. विश्वनाथ शर्मा को याद किया। इस अवसर पर सपा जिलाध्यक्ष रामधारी यादव, अमिताभ राय, संजय राय, दिनेश यादव, भोला यादव, शैलेन्द्र यादव, भैयालाल पांडेय, गिरजा शंकर पांडेय, भगवती राय, संतोष राय, संदीप राय, वीर बहादुर सिंह, राकेश कुमार मिश्र, बृजेश राय, त्रिभुवन यादव, शम्मी सिंह आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संयोजन पं. विश्वनाथ शर्मा के पुत्र विश्व विमोहन शर्मा तथा संचालन व्यासमुनी राय ने किया।