गाजीपुर। बुधवार को प्राशासन की तरफ़ से कार्डियोपल्मोनरी पुनर्जीवन यानी सीपीआर पर कार्यशाला का आयोजन रायफल क्लब सभागार में किया गया। इसका शुभारंभ अपर जिलाधिकारी वि/रा अरूण कुमार सिंह ने मुख्य अतिथि राजकीय चिकित्साधिकारी डा. शिवशक्ति प्रसाद द्विवेदी को सम्मानित कर किया। तत्पश्चात् डा. द्विवेदी ने अधिकारियों एवं कर्मचारियों को सीपीआर, कार्डियक अरेस्ट में दिये जाने वाले प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण दिया।उन्होंने इसकी उपयोगिता के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि दुर्घटना में बेहोश व्यक्ति को सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रेसूसिटेशन) से होश में ला सकते हैं। अगर किसी को ऐसा मरीज दिखता है तो सबसे पहले 108 नंबर पर फोन कर एम्बुलेंस को सूचना देनी चाहिए ताकि जल्द मदद मिल सके। इसके साथ ही मरीज की सुरक्षा का भी ध्यान देना चाहिए। अगर मरीज सड़क के किनारे या संकरी जगह पर है तो उसको किनारे या खुली जगह पर लना चाहिए। इसके बाद सीपीआर देना शुरू करना चाहिए। मरीज को मदद देने से पहले उसकी कैरॉटिड पल्स (गले की नब्ज कंठ के दोनों तरफ होती) जांचें। तीन अंगूलियों से धड़कन टटोलते हैं। इससे पता चल जाएगा कि मरीज की सांस कैसे चल रही है। इसके बाद से सीने के बीच की हड्डी (स्टर्नम) जहां खत्म होती है, वहां पर एक मिनट में 100 से 120 कंप्रेशन देते हैं। तीस कंप्रेशन के बाद पीड़ित को ओपन एयर-वे की ओर ले जाते हैं। उसके माथे पर सीधे हाथ की तीन अंगुलियां रखकर इंडेक्स फिंगर, थंब से नाक दबाएं। मुंह से कृत्रिम सांस देने के लिए उसके मुंह पर रूमाल लगाकर सामान्य तरीके से सांस दें। एक सेकंड के अंतराल पर पांच बार करें। उन्होंने बताया कि सीपीआर ऐसे व्यक्तियों को देना चाहिए, जो किसी दुर्घटना में घायल होकर सड़क के किनारे पड़ा हो या फिर आग या धुएं की चपेट में आकार बेहोश हो गया हो, जिनको अचानक से झटका आया हो और वह बेहोश हो गया हो। पानी में डूब रहे किसी व्यक्ति को भी देने की जरूरत पड़ती है। कार्यशाला में अपर जिलाधिकारी भू./रा., उप ज़िलाधिकारी सदर, उप ज़िलाधिकारी जमानिया सहित अन्य अधिकारी-कर्मचारी मौजूद रहे।