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सावित्रीबाई फुले की जयंती मनाई

गाजीपुर ।राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय गाजीपुर में आधुनिक भारत की प्रथम शिक्षिका सावित्री बाई फुले की 192 वीं जयंती के अवसर पर अभिवादन कार्यक्रम आयोजन किया गया। इस अवसर पर महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो.सविता भारद्वाज ने सावित्री बाई फुले के चित्र पर माल्यार्पण कर अपनी श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि  आदमी अपने कर्म यश से सदैव अमर रहता है। मां सावित्री बाई फुले ने स्त्री शिक्षा के क्षेत्र में जो काम किया वह अनुकरणीय है। अंधविश्वासों, रूढ़ियों आदि की बेड़ियों से जकड़ी स्त्री को शिक्षा के माध्यम से उन्होंने जो आजादी के स्वप्न दिखाए और उसके लिए जो संघर्ष किया उसके लिए हम सदैव उनके ऋणी रहेंगे। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए डॉ. संतन कुमार राम ने कहा कि  सावित्री बाई फुले का योगदान शिक्षा, समाज एवं राष्ट्र के लिए बराबर रहा । एक तरफ़ वह स्वयं कुप्रथाओं एवं रूढ़ियों से लड़ रही थी तो वहीं दूसरी तरफ भारतीय स्त्रियों को शिक्षा के लिए जागरूक कर रहीं थीं। भारतीय नव जागरण में स्त्रियों को सम्मान जनक हक दिलाने की जब जब भी बात आयेगी तब तक सावित्री बाई फुले का नाम सबसे पहले लिया जायेगा। भारतीय स्त्रियों के लिए वह सबसे बड़ी प्रेरणा स्रोत हैं। उन्होंने स्त्री शिक्षा हेतु अपने पति के साथ मिलकर अनेक स्कूल, अस्पताल, अनाथालय, विधवा पुनर्वास केंद्र खोलने का काम किया वह अपने समय में क्रांतिकारी मशाल है, जिसकी रोशनी आज भी फ़ैल रही है।इस क्रम में डा अकबर आज़म ने कहा कि जीवन और कर्म की सुचिता फुले को विलक्षण बनाता है। इन्होंने स्त्री शिक्षा के लिए सर्वप्रथम विद्यालय की स्थापना कर राष्ट्र निर्माण में बहुत महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। बिना स्त्री के उत्थान के भारतीय समाज का उत्थान अधूरा है । इस अवसर पर आज़म जी के पुस्तक “बायो ऑर्गेनिक एंड मेडिकल केमेस्ट्री” का विमोचन किया गया।इस अवसर पर संजना विश्वकर्मा, प्रिया गुप्ता, सैयद बुशरा अली, गुलफशां, अमृता पांडेय आदि छात्राओं ने अपनी बात रखी, महाविद्यालय परिवार के सभी उपस्थित सदस्यों ने इन महापुरुषों के चित्रों पर पुष्पजली के माध्यम से श्रद्धा सुमन अर्पित किए। कार्यक्रम का संचालन डा निरंजन कुमार यादव ने तथा धन्यवाद ज्ञापन डा विकास सिंह ने किया।