ग़ाज़ीपुरस्वास्थ

क्षय रोगियों को खोजने के लिए शुरू हुआ विशेष अभियान*

 

गाज़ीपुर । राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जनपद में  एकीकृत निक्षय दिवस मनाया गया। इसके साथ ही आयुष्मान भारत – हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के माध्यम से क्षय रोगियों को खोजने के लिए विशेष अभियान की शुरुआत की गई। सेंटर पर क्षय रोग के संभावित लक्षण वाले व्यक्तियों को चिन्हित कर बलगम का सैंपल जांच के लिए भेजा गया।जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ मनोज कुमार ने बताया कि हर माह की 15 तारीख को मनाए जाने वाले एकीकृत निक्षय दिवस पर क्षय रोग की जांच, उपचार आदि के सेवाएँ दी जा रही हैं। रोगियों को सम्पूर्ण उपचार के साथ भावनात्मक सहयोग भी दिया जा रहा है। सोमवार को मनाए गए एकीकृत निक्षय दिवस के साथ ही जिले के 198 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर क्षय रोगियों को खोजने के लिए विशेष अभियान की शुरुआत की गई। यह अभियान 7 जून तक चलेगा। अभियान में सीएचओ व आशा कार्यकर्ता के माध्यम से सामुदायिक स्तर पर व्यक्तियों की स्क्रीनिंग, जांच, उपचार आदि की सेवाएँ दी जाएंगी। इसके साथ ही जनपद में पब्लिक टीबी नोटिफिकेशन के सापेक्ष प्राइवेट नोटिफिकेशन को बढ़ाने पर ज़ोर दिया जाएगा।जिला कार्यक्रम समन्वयक (डीपीसी) डॉ मिथलेश कुमार ने बताया कि जिले के सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर सोमवार से विशेष अभियान शुरू किया गया है। यह अभियान 21 दिन तक चलेगा। इसमें हर सप्ताह सेंटर पर एक स्वास्थ्य शिविर लगाया जाएगा। क्षय रोग के संभावित लक्षण वाले व्यक्तियों का सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा जाएगा। उन्होंने बताया कि इस वर्ष जनवरी से अब तक जनपद में 1553 क्षय रोगियों को नोटिफ़ाई किया जा चुका है। इसमें 1392 पब्लिक व 151 प्राइवेट क्षेत्र के हैं। इन सभी रोगियों का उपचार चल रहा है। इस वर्ष जनवरी से अब तक निक्षय मित्रों की 27 संख्या है जिन्होंने 35 क्षय रोगियों को गोद लिया है। उन्होंने जनपदवासियों से अपील की है कि क्षय रोगियों कि सहायता करने के लिए आगे आयें और निक्षय मित्र बनकर भारत को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त बनाने में अपना योगदान दें। उन्होंने बताया कि अधिक जानकारी के लिए टोल फ्री नंबर 1800-11-6666 पर संपर्क किया जा सकता है।दवा का पूरा कोर्स जरूरी – जिला पीपीएम समन्वयक एके दुबे ने बताया कि यदि टीबी की पहचान शुरुआती दिनों में हो जाए तो मरीज छह माह के सम्पूर्ण उपचार से ठीक हो जाता है। टीबी का इलाज अधूरा छोड़ने पर यह गंभीर रूप लेकर मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट (एमडीआर) टीबी के रूप में सामने आता है। टीबी के मरीज ड्रग रेजिस्टेंट न हों इसके लिए स्वास्थ्य विभाग और जिला टीबी नियंत्रण इकाई मरीजों का नियमित फॉलोअप कर रही है। टीबी मरीजों को निक्षय पोषण योजना के तहत उपचार के दौरान प्रतिमाह 500 रुपये पोषण भत्ते के रूप में सीधे मरीज के खाते में भेजे जाते हैं।