लोक से प्रेरित होकर ही रामायण की महर्षि वाल्मीकि ने की रचना : प्रो. नीरजा माधव
गाजीपुर ।राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय गाजीपुर में “लोक साहित्य एवं संस्कृत के आयाम” भारतीय परिप्रेक्ष्य, विषय पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आज समारोह पूर्वक आगाज आकाशवाणी की वरिष्ठ अधिकारी एवं प्रख्यात लोक साहित्यकार प्रोफेसर नीरजा माधव ने किया। आपके अनुसार वेद से पहले लोक आता है। महर्षि वाल्मीकि ने लोक से प्रेरित होकर ही रामायण की रचना की। हमारे तीज त्यौहार हमारी लोक परंपरा को ही दिखाते हैं। भारतीय मन के बिना भारतीय लोक संस्कृति को समझना मुश्किल है। इसके पूर्व जीवनोदय शिक्षा समिति गाजीपुर के सदस्य एवं समारोह के संयोजक काजी फरीद आलम ने सेमिनार की रूपरेखा प्रस्तुत की। अतिथियों का स्वागत संस्था के अध्यक्ष डॉ राम नारायण तिवारी ने किया। महाविद्यालय की छात्राओं ने महाविद्यालय का कुलगीत प्रस्तुत करते हुए अतिथियों का स्वागत गीत, पुष्प एवं बैज अलंकरण द्वारा किया। मारीशस से पधारी डॉ विनोद बाला एवं तुर्की से आई प्रोफेसर एस टी जस्सल ने अपने लोक आख्यान के माध्यम से इसके वैश्विक स्वरूप को स्पष्ट करते हुए लोक की ताकत एवं महत्ता को रेखांकित किया। वरिष्ठ पत्रकार हिमांशु उपाध्याय ने कहा कि जिस देश की विरासत सुरक्षित नहीं रह सकती वह देश सुरक्षित नहीं हो सकता।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य प्रोफेसर डॉ सविता भारद्वाज ने डॉ0 राम नारायण तिवारी को लोक पुरुष की संज्ञा दी। आपके अनुसार जो प्राकृतिक रूप से स्वत ढंग से विद्यमान है वही लोक है। भारतीय लोग ताकतवर है। क्योंकि वह भगवान राम को भी कठघरे में खड़ा करने का साहस रखता है। हमारे संस्कारों में हमारा लोक उभरकर सामने आता है। आज लोक कलाकारों को बाजार भी मिला है, लेकिन हमें बाजार से अपने लोक को बचाना होगा। इस अवसर पर उच्च शिक्षा के लिए डॉ पी सी अभिलाष, डॉ भुनेश्वर दुबे, प्राथमिक शिक्षा के लिए रणधीर यादव, नियोजित शिक्षक बिहार के श्री आशीष दुबे तथा सरस्वती विद्या मंदिर के राम उग्रह पांडेय का संस्था द्वारा सम्मान किया गया। सेमिनार के प्रथम सत्र का संचालन हिंदी के विद्वान प्राध्यापक डॉ0 निरंजन कुमार यादव एवं संयोजन में सहयोग डॉ0 शिव कुमार डॉ0 जितेंद्र नाथ राय डॉक्टर शेरखान द्वारा किया गया।समारोह के द्वितीय सत्र में डॉ0 विश्वनाथ मिश्र राजनीती शास्त्री आर्य महिला पीजी कॉलेज, वाराणसी डॉ0 मंजीत सिंह कुंवर पीजी कॉलेज, बलिया डॉ0 लाल बहादुर यादव जयप्रकाश विश्वविद्यालय छपरा डॉ0 राम बहादुर मिश्र अवधी विद्वान ने लोक के संबंध में अपने उद्गार व्यक्त किए। इस सत्र की अध्यक्षता डॉ0 शांति स्वरूप सिंह ने किया तथा सत्र का संचालन डॉक्टर राकेश पांडे एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रोफ़ेसर डॉ अनिता कुमारी ने किया।इस अंतरराष्ट्रीय सेमिनार की एक प्रमुख विशेषता लोक कलाओं का प्रदर्शन एवं संगीतकारों का जमावड़ा रहा। संस्कृत संध्या के तहत तीसरे सत्र में लोक कलाओं का मनभावन प्रदर्शन रहा। जिसमें पवन बाबू ने देवी गीत, साल्टू राम एवं साथियों ने धोबी नृत्य, रामसेवक खरवार ने कहारवा नृत्य तथा मदन राय, के के पंडित रतन ओझा, जिया लाल ठाकुर एवं आशीष दुबे ने गायन प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का उद्घाटन दर डॉ श्रीकांत पांडे एवं अमरीश चौबे सेवानिवृत्त आईएफएस ने संयुक्त रूप से किया तथा तीसरे सत्र की अध्यक्षता सौदागर सिंह ने की। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से डॉ सानंद सिंह, प्रोफेसर आनंद सिंह, उबेदुर रहमान, डॉ राघवेंद्र पांडे, प्रोफेसर एके मिश्रा, डॉ सुशील कुमार तिवारी, डॉ अविनाश शरण राय एवं महाविद्यालय के प्राध्यापक एवं आर्य महिला महाविद्यालय वाराणसी की छात्राएं एवं विभिन्न प्रदेशों से आए विद्वान प्राध्यापक गण एवं शोध छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।